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अमानत लेखनी कहानी -30-Jan-2023

माया की मन की बात सुनकर राजू को समझ आ गया कि क्यूं कबीर ने उसे स्नेहा और अपने रिश्ते में गलतफहमियां पैदा करने को कहा था। 



फ्लैशबैक 
"यह तुम क्या कह रहे हो कबीर? कोई ऐसा क्यों करेगा?सब जानते हैं कि तुम और स्नेहा एक दूसरे से प्यार करते हो तो किसी को ऐसा करने से क्या हासिल होगा?" राजू ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।

"इसी क्यूं के बारे में तो मैं कुछ नहीं जानता राजू? पर वो जो कोई भी है। हमारे आसपास ही मौजूद है। हमारी हर बात पर उसकी नज़र है। अब तुम्हें एक काम करना है। किसी के जरिए तुम्हें स्नेहा के मन में मेरे लिए शक पैदा करना है और सबके सामने मुझसे भी स्नेहा के लिए कुछ मनघड़ंत बात कहनी होगी और रही बात स्नेहा की तो वो तुम्हें अपना सच्चा दोस्त मानती है तो उसे मुझसे दूर रख कर उसकी हिफाजत करनी होगी। मैं स्नेहा को अपनी अमानत के तौर पर तुम्हें सौंप रहा हूं। ताकि वो शख्स उसे दोबारा कोई नुक्सान ना पहुंचा पाए। लाइब्रेरी में अलमारी का बिल्कुल स्नेहा के पास पहुंचने पर गिरना कोई इतिफाक नहीं था।" कबीर ने राजू के कंधे पर हाथ रख कर कहा तो राजू का सीना गर्व से फूल गया।

"तू फ़िक्र मत कर यार, स्नेहा मेरी एकलौती भाभी है। उसकी हिफाजत मैं अपनी जान से भी ज्यादा करूंगा। तुम्हारा यह नालायक दोस्त अब लक्ष्मण के साथ साथ विभीषण का भी किरदार निभाएगा।" राजू ने अपनी शर्ट के कालर चढ़ाते हुए इतने अभिमान से कहा कि कबीर की हंसी छूट गई।

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8 Comments

Pranali shrivastava

31-Jan-2023 03:24 PM

Nice

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Saroj Verma

31-Jan-2023 08:36 AM

बहुत बढ़िया 👍👍

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